एथलीट्स पर बहता है पब्लिक का पैसा, कोई सवाल क्यों नहीं पूछता? पूर्व ओलंपियन भड़कीं
Ashwini Nachappa India Paris Olympic: पेरिस ओलंपिक में जहां कुछ भारतीय एथलीट्स ने इतिहास रचा तो वहीं कुछ मेडल के करीब आकर चूक गए। भारत ने कुल 6 पदक हासिल किए। इसमें एक सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल शामिल थे। स्टार ओलंपियन नीरज चोपड़ा को इस बार सिल्वर से ही संतोष करना पड़ा। वहीं शूटर मनु भाकर ने दो मेडल हासिल किए। रेसलिंग में अमन सहरावत चमके। जबकि शूटिंग में स्वप्निल कुसाले ने कांस्य जीतकर भारत का नाम रोशन किया। शूटिंग में अर्जुन बबूता, तीरंदाजी में धीरज बोम्मदेवरा और अंकिता भकत और बैडमिंटन में लक्ष्य सेन जैसे खिलाड़ी पदक के करीब आकर चूक गए। लक्ष्य सेन की विफलता पर तो बैडमिंटन कोच प्रकाश पादुकोण बुरी तरह भड़क गए थे।
अश्विनी पोनप्पा ने उठाए सवाल
उन्होंने कहा था कि कई खिलाड़ियों को चौथे स्थान पर आते देखा गया है। अब समय आ गया है कि खिलाड़ी भी अपनी जिम्मेदारी लें। हालांकि उनके बयान के बाद खेल जगत दो हिस्सों में बंट गया था। स्टार शटलर अश्विनी पोनप्पा ने उनके बयान की आलोचना की थी। वहीं कुछ ने इसे सही बताया था। अब पूर्व भारतीय ट्रैक एवं फील्ड एथलीट, ओलंपियन, अर्जुन पुरस्कार विजेता और भारतीय एथलेटिक्स को बेहतर बनाने में जमीनी स्तर पर काम करने वाली अश्विनी नचप्पा एथलीट्स के प्रदर्शन को लेकर भड़क गईं। उन्होंने एक इंटरव्यू में भारत के प्रदर्शन पर बात की। फर्स्टपोस्ट को दिए इंटरव्यू में नचप्पा ने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी।
What happened to Vinesh Phogat was heartbreaking, but she still has a lot to offer to Indian wrestling and we must utilise her: Ashwini Nachappa
https://t.co/BOcYoZ6Zww
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— Freebook News Network (@freebooksocial) August 22, 2024
हमारी तरफ से सब कुछ दिया गया
नचप्पा ने कहा- पेरिस में 117 एथलीटों का क्वालीफाई करना सराहनीय है। हम न केवल एथलीटों, बल्कि आम जनता के रूप में भी पदक जीतने की सोच रखते हैं। हमारे दिनों में केवल क्वालीफाई करना बड़ी बात थी, लेकिन आज वे पदक जीतने की कोशिश करते हैं। एथलेटिक्स में हमने 29 एथलीटों को मैदान में उतारा। उनमें से ज्यादातर नेशनल रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर ने विदेशों में ट्रेनिंग ली है। उन्हें हमारी तरफ से सब कुछ दिया गया है, लेकिन वहां केवल एक ही प्रदर्शन करने वाले एथलीट हैं- नीरज चोपड़ा। अविनाश साबले के फाइनल में पहुंचने के अलावा एथलेटिक्स में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। कुछ तो अपने नेशनल रिकॉर्ड के करीब भी नहीं थे। बाकी सभी अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से भी काफी नीचे थे।
ये भी पढ़ें: ओलंपिक के बाद नीरज चोपड़ा की मैदान में वापसी, पहले ही टूर्नामेंट में सामने बड़ी चुनौती
महासंघ को जवाबदेह होने की जरूरत
नचप्पा ने कहा- ओलंपिक गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाने के लिए है। यह सिर्फ मेडल्स के बारे में ही नहीं है। हमें इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। एथलीट अपने सर्वश्रेष्ठ से इतना नीचे नहीं जा सकते। नचप्पा ने आगे कहा- महासंघ को जवाबदेह होने की जरूरत है। एथलीट ओलंपिक में जाने से पहले ऐसे नेशनल रिकॉर्ड कैसे बना रहे हैं। उनकी कोई जवाबदेही नहीं है। उनसे कोई सवाल नहीं पूछा जाता है। आखिरकार यह जनता का पैसा है जो हमारे एथलीटों पर खर्च किया जा रहा है।
ये भी पढ़ें: क्रिस्टियानो रोनाल्डो के यूट्यूब चैनल ने किया बड़ा धमाका, लॉन्च होते ही बनाया बड़ा रिकॉर्ड
कोचों की भी जवाबदेही होनी चाहिए
नचप्पा ने कोचों की भी जवाबदेही तय करने की बात कही। उन्होंने कहा- एथलीटों, महासंघ और कोचों की भी जवाबदेही होनी चाहिए। बैडमिंटन में निराशा हुई है और प्रकाश पादुकोण ने जो कहा, मैं उनसे सहमत हूं। हमारे समय में तो दौड़ने के लिए एक जोड़ी स्पाइक्स मिलना भी मुश्किल था। चिराग और सात्विक सबसे अच्छी उम्मीद थे। लक्ष्य सेन भी काफी करीब आ गए थे, लेकिन बाद में चूक गए।
ये भी पढ़ें: रोहित शर्मा को मैदान पर क्यों आता है इतना गुस्सा? शमी और अय्यर ने किया खुलासा
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अश्विनी पोनप्पा ने उठाए सवाल
उन्होंने कहा था कि कई खिलाड़ियों को चौथे स्थान पर आते देखा गया है। अब समय आ गया है कि खिलाड़ी भी अपनी जिम्मेदारी लें। हालांकि उनके बयान के बाद खेल जगत दो हिस्सों में बंट गया था। स्टार शटलर अश्विनी पोनप्पा ने उनके बयान की आलोचना की थी। वहीं कुछ ने इसे सही बताया था। अब पूर्व भारतीय ट्रैक एवं फील्ड एथलीट, ओलंपियन, अर्जुन पुरस्कार विजेता और भारतीय एथलेटिक्स को बेहतर बनाने में जमीनी स्तर पर काम करने वाली अश्विनी नचप्पा एथलीट्स के प्रदर्शन को लेकर भड़क गईं। उन्होंने एक इंटरव्यू में भारत के प्रदर्शन पर बात की। फर्स्टपोस्ट को दिए इंटरव्यू में नचप्पा ने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी।
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हमारी तरफ से सब कुछ दिया गया
नचप्पा ने कहा- पेरिस में 117 एथलीटों का क्वालीफाई करना सराहनीय है। हम न केवल एथलीटों, बल्कि आम जनता के रूप में भी पदक जीतने की सोच रखते हैं। हमारे दिनों में केवल क्वालीफाई करना बड़ी बात थी, लेकिन आज वे पदक जीतने की कोशिश करते हैं। एथलेटिक्स में हमने 29 एथलीटों को मैदान में उतारा। उनमें से ज्यादातर नेशनल रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर ने विदेशों में ट्रेनिंग ली है। उन्हें हमारी तरफ से सब कुछ दिया गया है, लेकिन वहां केवल एक ही प्रदर्शन करने वाले एथलीट हैं- नीरज चोपड़ा। अविनाश साबले के फाइनल में पहुंचने के अलावा एथलेटिक्स में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। कुछ तो अपने नेशनल रिकॉर्ड के करीब भी नहीं थे। बाकी सभी अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से भी काफी नीचे थे।
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महासंघ को जवाबदेह होने की जरूरत
नचप्पा ने कहा- ओलंपिक गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाने के लिए है। यह सिर्फ मेडल्स के बारे में ही नहीं है। हमें इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। एथलीट अपने सर्वश्रेष्ठ से इतना नीचे नहीं जा सकते। नचप्पा ने आगे कहा- महासंघ को जवाबदेह होने की जरूरत है। एथलीट ओलंपिक में जाने से पहले ऐसे नेशनल रिकॉर्ड कैसे बना रहे हैं। उनकी कोई जवाबदेही नहीं है। उनसे कोई सवाल नहीं पूछा जाता है। आखिरकार यह जनता का पैसा है जो हमारे एथलीटों पर खर्च किया जा रहा है।
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कोचों की भी जवाबदेही होनी चाहिए
नचप्पा ने कोचों की भी जवाबदेही तय करने की बात कही। उन्होंने कहा- एथलीटों, महासंघ और कोचों की भी जवाबदेही होनी चाहिए। बैडमिंटन में निराशा हुई है और प्रकाश पादुकोण ने जो कहा, मैं उनसे सहमत हूं। हमारे समय में तो दौड़ने के लिए एक जोड़ी स्पाइक्स मिलना भी मुश्किल था। चिराग और सात्विक सबसे अच्छी उम्मीद थे। लक्ष्य सेन भी काफी करीब आ गए थे, लेकिन बाद में चूक गए।
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